अब तक हम संविधान की 05 पोस्ट पढ़ चुके हैं। इन पोस्टस  में हमने जाना कि भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या थी? संविधान का निमार्ण कैसे हुआ? संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा का गठन कैसे किया गया? संविधान सभा की समितियो के बारे में जाना। साथ ही हमने जाना कि संविधान की आलोचना करने का आधार क्या हैं। हमने यह भी जाना कि संविधान का sources क्या थे। यदि आपने अभी तक यह पोस्ट्स पढ़ी ना हो तो मैं आपसे अनुरोध करूँगा की पहले आप वो पोस्ट्स पढ़ ले ताकि यह वाली पोस्ट आपको अच्छे से समझ मे आये। मैंने सारी पोस्ट क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित किया हैं। मैं इस पोस्ट के अंत मे सभी पोस्ट की लिंक दे रहा हूँ।

आज की पोस्ट में हम जानेगे की भारत के संविधान (indian constitution) की क्या विशेषताए हैं। इस भाग को हम 2 पार्ट में पढेंगे। ताकि पोस्ट ज्यादा लंबी ना हों।

भारत के संविधान की विशेषताएं । Salient features of the indian constitution


1. सबसे लंबा लिखित संविधान:-

आम तौर पर संविधान को दो भागों में विभाजित करते हैं- 

क) अलिखित संविधान :- 

ऐसा संविधान जिसको लिखा नहीं गया हों। यह धारणा बनी हुई है कि ब्रिटेन का संविधान अलिखित हैं। लेकिन ब्रिटेन के संविधान की कॉपी महारानी/महाराजा के पास रहती है।

ख) लिखित संविधान:- 

ऐसा संविधान जिसका लिखित दस्तावेज हो। भारत और अमेरिका के संविधान को लिखित संविधान का दर्जा दिया जाता हैं।

भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान हैं। वर्तमान में भारत के संविधान में 465 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां तथा एक प्रस्तावना हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेदों को 25 भागो में बांटा गया हैं।

2. विभिन्न संविधानो का संग्रह :-

भारत के संविधान को बनाने के लिए संविधान निर्माताओं ने 60 देशो के संविधानो का अवलोकन किया तथा उस पर चर्चा करने के बाद उन संविधानो की कुछ बातों को हमारे संविधान में संग्रहित किया।

"प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर ने गर्व से कहा कि भारत का संविधान विभिन्न देशों के संविधान को छानकर बनाया गया हैं।"


3. नम्यता और अन्मयता का संबंध:-

भारत का संविधान ना तो ज्यादा लचीला हैं और ना ही ज्यादा कठोर हैं। भारत के संविधान में अनुच्छेद 368 की सहायता से संसोधन कर सकते हैं। भारत और अमेरिका के संविधान में यही फर्क हैं कि भारत के संविधान में आसानी से संसोधन कर सकते हैं लेकिन अमेरिका के संविधान में संसोधन करना इतना आसान नही हैं।

4. एकात्मता की ओर झुकाव:-

क) भारत के संविधान में सशक्त केंद्र, एकल नागरिकता, न्यायालय एकीकृत, एकल संविधान तथा राज्यो में राज्यपाल की न्युक्ति केन्द्र द्वारा की बात कही गयी हैं। यह सब बातें एकात्मता की ओर झुकाव के साथ संघीय व्यवस्था की ओर इशारा करती हैं।

ख) भारतीय संविधान के अनुच्छेद एक में कहा गया है कि भारत एक राज्यों का संघ है इसके दो अभिप्राय है:-
i) राज्यों को भारत मे किसी समझौते के साथ विलय नही किया गया हैं। अर्थात राज्य अपनी स्वेच्छा से भारत मे शामिल हुवे हैं।
ii) राज्यों को भारत संघ से अलग होने की अनुमति नहीं हैं।

5. सरकार का संसदीय रूप:-

सरकार का संसदीय रूप का सिद्धांत ब्रिटेन से लिया गया। 
क) भारत की संसदीय व्यवस्था विधायिका और कार्यपालिका के साथ समन्वय का काम करती हैं।
ख) संसदीय प्रणाली को उत्तरदायी सरकार का और मंत्रिमंडल के नाम से जाना जाता हैं।

6. संसदीय सम्प्रभुता और सर्वोच्च न्यायालय में समन्वय

क) भारत के संविधान में संसदीय सम्प्रभुता का सिद्धांत ब्रिटेन से तथा सर्वोच्च न्यायालय का सिद्धांत अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय से लिया गया हैं।
ख) भारत की संसद ब्रिटेन की संसद से भिन्न तथा भारत का सर्वोच्च न्यायालय अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय से भिन्न हैं। संविधान निर्माताओं ने भारत की संसद और सर्वोच्च न्यायालय के बीच समन्वय बनाने की बात पर जोर दिया। जहाँ भारत की संसद की संविधान में संसोधन या कानून बनाने का अधिकार दिया वहीं सर्वोच्च न्यायालय को संसद द्वारा पारित किये गये कानूनों की सवैधानिक जाँच करने का अधिकार दिया जिससे संसद और सर्वोच्च न्यायालय के बीच समन्वय बना रहता हैं कोई भी अपनी मनमानी नही चला सकता।

7. एकीकृत और स्वंतत्र न्यायपालिका

भारत मे न्याय व्यवस्था के कई स्तर हैं। जिले लेवल पर जिला अदालत, राज्य स्तर पर उच्च न्यायालय तथा उसके उपर सर्वोच्च न्यायालय हैं। सर्वोच्च न्यायालय का स्थान शीर्ष पर हैं। हमारी न्याय व्यवस्था में एक खास बात यह है कि कोई भी व्यक्ति निचली अदालतों के निर्णय से सन्तुष्ट नही हो तो ऊपर की अदालत की ओर रूख कर सकता है।

भारत का सर्वोच्च न्यायालय संसद द्वारा पारित कानूनों की जांच कर सकता है इससे यह सिद्ध होता है कि भारत की न्याय व्यवस्था पूर्ण रूप से स्वतंत्र है।

8. मौलिक अधिकार :-

क) भारत के संविधान में मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान से शामिल किया गया।
ख) मौलिक अधिकार का उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र की भावना को प्रोत्साहन देना होता हैं।
ग) यह यानी मौलिक अधिकार कार्यपालिका और विधायिका के मनमाने कानूनों पर निरोधक की तरह काम करता हैं।
घ) राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 20-21 की अधिकरों को छोड़कर सभी अधिकारों को स्थागित किया जा सकता हैं।

आज की पोस्ट में हमने संविधान की कुछ विशेषताओ के बारे में जाना। बचीं हुई संविधान की विशेषताएं अगली पोस्ट में पढेंगे।

मैं उम्मीद करता हूँ आपको आज का टॉपिक समझ मे आया होगा। पोस्ट के बारे में यदि आपका कोई सुझाव हो तो जरूर मेल करें। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।