Constitution of india in hindi। संविधान सभा के कार्य । snvidhan sabha ke kary



भारत के संविधान का निर्माण |संविधान सभा के कार्य

Constitution of india in hindi। संविधान सभा के कार्य । snvidhan sabha ke kary
संविधान सभा, Constitution of india in hindi। संविधान सभा के कार्य । snvidhan sabha ke kary
अब तक हम सविधान की दो पोस्ट(संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भाग 01 , संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भाग 02) पढ़ चुके हैं इन दोनों पोस्ट में हमने जाना कि भारत के संविधान की पृष्ठभूमि क्या थी। अंग्रेजों के कौन-कौन से कानून थे जिससे भारत के संविधान निर्माण करने में सहायता मिली और संविधान निर्माण करने की माँग भारतीयों ने उठाई। आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की भारत के संविधान निर्माण की क्या प्रक्रिया रही कौन-कौन से लोग थे जिन्होंने सविधान बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।


भारत के संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया गया। संविधान सभा का गठन के बारे में सर्वप्रथम वामपंथी नेता एमएन रॉय ने अपना 1934 में विचार रखा। 

जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस की तरफ से संविधान सभा का गठन के लिए व्यस्क मताधिकार का आधार बताया तथा साथ ही यह कहा गया कि संविधान सभा के गठन में बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा। ब्रिटिश सरकार ने जवाहरलाल नेहरू के इस प्रस्ताव को 1940 में सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया जिसे हम अगस्त प्रस्ताव के नाम से जानते हैं। 

संविधान सभा का गठन :-

क) संविधान सभा का गठन करने के लिए 26 मार्च 1946 में कैबिनेट मिशन भारत आया इसके तहत भारत में 2 सविधान सभा बनाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।


ख) 1946 जुलाई अगस्त महीने में संविधान सभा के गठन के लिए पूरे भारत क्षेत्र में मतदान करवाने के लिए 389 सीटें निर्धारित की गई उसने से 296 सीटे ब्रिटिश भारत को आवंटित की गई तथा 93 सीटें रियासतों को दी गई। ब्रिटिश भारत आवंटित को 296 का चुनाव करवाए गए जिसमें से कॉन्ग्रेस ने 208 सीटें जीती तथा 73 सीटें मुस्लिम लीग ने जीती लेकिन रियासतो ने 93 सीटों पर चुनाव करवाने से इनकार कर दिया कर दिया क्योंकि वह समझते थे कि उन्हें कोई संविधान की जरूरत नहीं है।

ग) कैबिनेट मिशन  के द्वारा सुझाए गए प्रस्ताव के तहत नवंबर 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ इस संविधान सभा ने भारत के संविधान को बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

क) सविधान सभा की प्रथम बैठक दिसंबर 1946 में हुई जिसमें मुस्लिम लीग ने भाग नहीं लिया तथा कुल 211 सदस्यों ने इस बैठक में भाग लिया।


ख) इस बैठक में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद सिंध को अस्थायी अध्यक्ष बनाया गया तथा बाद में डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया।


उद्देश्य प्रस्ताव की मुख्य बातें/ संविधान सभा के वचन:- 

18 दिसंबर 1946 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के सामने उद्देश्य प्रस्ताव रखा इसके आधार पर हमारे संविधान की प्रस्तावना को माना जाता है  इस प्रस्ताव में निम्न बातें की कही गई।

क)इसमें भारत को स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य घोषित करने की बात कही गयी।

ख)सभी राज्यों को अपनी इच्छा से भारत में शामिल होने की बात कहीं गयी।

ग) इस प्रस्ताव में अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग तथा जनजाति क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के बारे में बात कहीं गयी।

स्वतंत्रता अधिनियम से संविधान सभा में परिवर्तन:-

क) संविधान सभा को पूर्णता संप्रभु बनाया गया ताकि वह स्वेच्छा से संविधान का निर्माण कर सके। संविधान सभा को अधिकार दिया गया कि वो ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए कोई भी कानून को समाप्त कर सकती है।

ख) स्वतंत्रता अधिनियम आने के बाद संविधान सभा एक विधायिका के के रूप में भी काम करने लगीं अर्थात अब संविधान सभा को दो प्रमुख कार्य करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी (1) विधायिका के रूप में कार्य अर्थात कानून बनाने संबंधित कार्य। जब संविधान सभा की बैठक कानून बनाने के लिए होती थी तब संविधान सभा की अध्यक्षता जी वी मावलंकर करते थे (2) संविधान सभा का दूसरा कार्य संविधान निर्माण करना था जब संविधान सभा की बैठक संविधान निर्माण के लिए होती थी तब संविधान सभा का अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद होते थे

ग) स्वतंत्रता अधिनियम ने मुस्लिम लीग को संविधान सभा से अलग कर दिया क्योंकी इस अधिनियम में मुस्लिम लीग द्वारा दूसरे देश बनाने की मांग को स्वीकार कर लिया गया था।

क) संविधान सभा ने 1949 में राष्ट्रमंडल में सदस्यता का सत्यापन किया।

ख) संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया।

ग) संविधान सभा ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय गीत था डॉ राजेन्द्र प्रसाद को राष्ट्रपति के रूप में स्वीकार किया।



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