भारत का संविधान भाग 05

Bharat ka Snvidhan । Constitution of india । sources of indian constitution

संविधान की आलोचना, Bharat ka Snvidhan । Constitution of india । sources of indian constitution

अब तक हम संविधान की चार पोस्ट पढ़ चुके हैं। अब तक हमने जाना कि भारत के संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या थी? संविधान का निर्माण कैसे हुआ? संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन कैसे किया गया? तथा हमने यह भी जाना कि संविधान के कार्यो को करने के किये किन किन समितियों का गठन किया गया और उनके अध्यक्ष के बारे में भी जाना।

आज हम जानेगे की भारत के निर्माण के लिए किन किन देशो के संविधान से मुख्य भाग लिए(यहाँ पर हम केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण देशो से लिए गए भागो को जानेगे) तथा साथ ही हम यह भी जानेगे की भारत के सविंधान की आलोचना किस आधार पर की जाती है।

भारत के संविधान के कुछ महत्वपूर्ण भाग तथा स्त्रोत

प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर ने गर्व से कहा कि हमारा संविधान सभी देशों के संविधानो से छानकर बनाया गया हैं। अर्थात हमने दुनिया के लगभग 60 देशो के संविधान से अच्छी अच्छी बातें छाँनकर अपना संविधान बनाया हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण संविधान के विषय मैंं नीचे पोस्ट में डाल रहा हूँ।

1)  मौलिक अधिकार:- 

भारत के संविधान में मौलिक अधिकार सयुंक्त राष्ट्र अमेरिका के संविधान से लिया गया हैं।

2) सर्वोच्च न्यायालय:- 

भारत के संविधान में सर्वोच्च न्यायालय की गठन तथा सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय से प्रेरित हैं। लेकिन भारत का सर्वोच्च न्यायालय अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय से अलग हैं। क्योंकि अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय बदलना टेडी खीर के बराबर है अर्थात अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को बदलना बहुत ही मुश्किल हैं लेकिन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को बदलना इतना मुश्किल नही हैं।

3) संसद:- 

भारत के संविधान में संसद के निर्माण तथा उनकी शक्तियाँ ब्रिटेन से लिया गया है। संसद की दैवध प्रणाली ब्रिटेन से प्रेरित हैं। लोकसभा तथा राज्यसभा के भी गठन भी ब्रिटेन से प्रेरित लगता हैं।

4) संविधान में राजनीतिक भाग:- 

भारत के संविधान का राजनीतिक भाग ब्रिटिश सरकार के राजनीतिक कार्यो से प्रभावित हैं।

5) राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत:- 

भारत के संविधान के भाग राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत को आयरलैंड से लिया गया।

6) स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुता का सिद्धांत:- 

भारत के संविधान में स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुता का भाव फ्रांस से लिया गया हैं। फ्रांसीसी क्रांति का मुख्य उद्देश्य ही स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुता था।

संविधान की आलोचना का आधार:-

1. कांग्रेस का प्रभाव:- 

संविधान की आलोचना करने वालो का मुख्य आधार यहीं है कि संविधान में उन चीजो को ही शामिल किया गया जिसको कांग्रेस चाहती थी। कुछ आलोचकों का मानना है कि भारत का विभाजन भी सविंधान में कांग्रेस के प्रभाव के कारण हुआ लेकिन यह बात भी सही है कि उस समय कांग्रेस ही एक मात्र बड़ी पार्टी थी जो अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज उठा रही थी।
संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा मे सभी सदस्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कांग्रेस से जुड़े हुवे थे इसलिए ही आलोचकों को यह प्रतीत होता है कि संविधान में कांग्रेस का प्रभाव था।

2. सम्प्रभुता का अभाव

कुछ संविधान के आलोचकों का मानना है कि भारत के संविधान में सम्प्रभुता का अभाव हैं। उनको ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि
अ). भारत के संविधान में दूसरे देशों के संविधान से कुछ भाग लिये गये। उनका कहना है कि संविधान बनाने वालों ने भारत की सस्कृति का ध्यान नही रखा।

ब) भारत के संविधान में बहुत सी बातें भारत शासन अधिनियम 1935 से ली गयी है इसलिए आलोचकों को लगता है कि भारत के संविधान पर ब्रिटिश सरकार जाते जाते आपना प्रभाव छोड़ कर गयी।

3. समय की बर्बादी

भारत के संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगें। संविधान के आलोचकों का मानना हैं की संविधान को बनाने में बहुत ज्यादा समय लगा। उनका तर्क यह भी है कि अमेरिका का संविधान को बनाने में कुछ महीने लगे तो भारत के संविधान को बनाने में इतना लंबा समय क्यों लगा।

4. वकीलों का स्वर्ग

अ) कहा जाता है भारत का सविंधान ना तो ज्यादा कठोर हैं और ना ही ज्यादा कमजोर हैं। इसलिए कभी कभी एक अपराधी भी कानून से बच कर निकाल जाता है उसमें वकीलों का बहुत बड़ा हाथ होता हैं।

ब) दूसरा हमारा संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए सीधा सर्वोच्च न्यायालय जाने की अनुमति देता है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के वकीलो की फीस बहुत अधिक होने के कारण गरीब आदमी पैसो के अभाव में अच्छा वकील नही कर पाता है और केस हार जाता हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जिसने ज्यादा पैसे दे कर अच्छा वकील किया वो केस को जीत जाता हैं इसलिए आलोचकों का कहना है कि भारत का संविधान वकीलो का स्वर्ग हैं।

5. राजनीतिक लोगो का प्रभुत्व

भारत के संविधान का निर्माण करने वालो में से ज्यादातर लोग या तो पहले से ही सक्रिय राजनीति में थे या संविधान के निर्माण के समय राजनीति में आये या फिर बाद में राजनीति में आये इसलिए आलोचकों का कहना है कि भारत के संविधान में राजनीति लोग को ज्यादा अधिकार प्रदान किये गए आम जनता की तुलना में।

6. हिन्दुओ का प्रभाव

भारत के संविधान निर्माताओं में ज्यादातर लोग हिन्दू होने के कारण आलोचकों का मानना है कि संविधान में हिन्दुओ का प्रभाव रहा है। साथ ही वे यह भी तर्क देते हैं कि इसी कारण धर्म के आधार पर देश का बंटवारा हुआ।

अगली पोस्ट में हम संविधान की कुछ विशेषताओं के बारे में जानेंगे।

मैं उम्मीद करता हूँ आपको आज का टॉपिक समझ मे आया होगा। पोस्ट के बारे में यदि आपका कोई सुझाव हो तो जरूर मेल करें। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करे।