Constitution of india in hindi । भारत का संविधान । indian constitution

भारतीय संविधान भाग 2

Constitution of india in hindi । भारत का संविधान । indian constitution

हम इस पोस्ट में भारतीय संविधान की पृष्ठभूमि का बचा हुआ भाग पढेंगे। पिछली पोस्ट में हमने देख की ब्रिटिश सरकार भारतीय क्षेत्र पर धीरे-धीरे कैसे अधिकार जमाने लगी थी। साथ ही ब्रिटिश सरकार कंपनी के कार्यो पर भी ध्यान रखने लगी थी। धीरे-धीरे कंपनी को अपने कंट्रोल में कर रहीं थीं। ब्रिटिश सरकार ने कंपनी कर नियंत्रण बनाने के लिए अलग-अलग कानून बनाए जिसके बारे में हमने पिछली पोस्ट(भारतीय संविधान भाग 1) में जाना।
👉पहले भारतीय क्षेत्र पर केवल कंपनी का ही अधिकार था लेकिन बाद में धीरे धीरे भारत मे विद्रोह के माहौल बनने लगे और फाइनली 1857 में सैनिकों ने कंपनी के विरोध विद्रोह कर दिया इसको देखते हुवे ब्रिटिश सरकार ने सारे अधिकार अपने अधीन कर लिए इस तरह 1858 में भारतीय क्षेत्र पर ब्रिटिश सरकार का सीधा अधिकार हो गया जिसे हम ब्रिटिश शासन या ताज का शासन कहते है। इस पोस्ट में ऐसे ही कुछ ब्रिटिश क़ानूनो के बारे में जानेंगे जो 1857 कि क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित किए गए।

1. 1858 का भारत शासन अधिनियम की विशेषताएं:-

क) भारत के गवर्नर जनरल को वायसराय बना दिया गया।(भारत का प्रथम वॉयसराय  लॉर्ड केनिग था।)
ख) भारत का शासन महारानी विक्टोरिया के अधीन चला गया और भारतीय क्षेत्र को ब्रिटिश भारत कहा जाने लगा।
ग) द्वध प्रणाली को समाप्त कर नियंत्रण बोर्ड और कोर्ट ऑफ डिरेक्टरर्स को खत्म कर दिया गया।
घ)  भारत के राज्य सचिव के पद का सृजन किया गया। जो ब्रिटेन की संसद में बैठत था। उसको भारत के प्रशासन पर नियंत्रण करने का पूरी शक्तियां प्रदान की गई।
ड़) सचिव की सहायता के लिए 15 सदस्यों की परिषद का गठन किया गया। जिसका अध्यक्ष खुद सचिव होता था।

2.1861 का भारत परिषद अधिनियम की विशेषताएं:-

क) इस अधिनियम की तहत कानून बनाने की प्रकिया में भारतीय प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। लार्ड केनिग ने पहली बार 3 भारतीयों को शामिल किया।
ख) मद्रास और बम्बई को पुनः विधायी शक्तियां प्रदान कर दी गयी।
ग) इस अधिनियम ने वॉयसराय को आपातकाल के समय बिना कॉउन्सिल के चर्चा किये पारित करने की शक्ति प्रदान की।

1892 का भारत परिषद अधिनियम की विशेषताएं:-

क) इस अधिनियम के तहत केन्द्रीय और प्रांतीय के विधायी परिषदों में गैर-सरकारी यानी भारतीयों की संख्या बढ़ायी गयी लेकिन बहुमत नही था अर्थात उनकी बात पर ध्यान दिया जाएगा यह जरूरी नही थी।
ख) गैर सरकारी सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक समिति का गठन किया गया उसका काम परोक्ष रूप से सदस्यों का निर्वाचन करवाना था लेकिन उस अधिनियम में चुनाव शब्द का उपयोग नही किया गया।
1909 के भारत परिषद अधिनियम की विशेषताएं:- इसको मार्ले(भारत का सचिव)-मिटे(वॉयसराय) सुधार अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है।
क) पहली बार किसी भारतीय को वॉयसराय और गवर्नर जनरल के कार्य परिषद के साथ एसोसिएशन बनाने की छूट दी गयी।
ख) इस अधिनियम ने पृथक रूप से मुस्लिमो को सांप्रदायिक आधार पर निर्वाचन के लिए प्रतिनिधित्व प्रदान किया।

1919 का भारत शासन अधिनियम की विशेषताएं:-

क) केन्द्रीय और प्रांतीय विषयों को पहचान कर अलग अलग केर दिया गया।
ख)प्रांतीय विषयो को भी दो भागों में बांट दिया। a)हस्तांतरित विषय जिस पर सीधा गवर्नर का अधिकार नही होता था। b) आरक्षित विषय जिस पर गवर्नर का सीधा अधिकार था।
ग) द्विसदनीय प्रणाली का शुभारंभ हुआ।
घ) लंदन में उच्चायुक्त का सृजन किया गया सचिव की सारी शक्तिया स्थान्तरित कर दी गयी।
ड़) लोक सेवा आयोग का गठन सिविल सेवको की भर्ती के लिए 1926 में किया गया।
च) केंद्र और प्रान्त के बजट को अलग-अलग कर दिया गया।

1935 का भारत शासन अधिनियम की विशेषताएं:-

क) अखिल भारतीय संघ की स्थापना की गई।
ख) केंद्र और राज्यो के बीच विषयो का बटवारा किया गया।   केंद्र के अधीन विषयो की सूची को संघ सूची तथा राज्य के विषयो की सूची को राज्य सूची का नाम दिया था। जिन विषयो के केंद्र तथा राज्यो दोनो का अधिकार था उसे  समवर्ती सूची के अंतर्गत रखा गया।
ग) प्रांतीय दैवध प्रणाली का समाप्त किया गया था केंद्र तथा राज्य के शासन दैवध शासन की शुरुआत हुईं।
घ) संघीय न्यायालय की स्थापना की गयी।
ड़)  भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की गई।
च) मताधिकार की सँख्या बढ़ाई गई अब 10 % लोग मतदान कर सकते थे

1947 का भारत स्वंतत्रता अधिनियम की विशेषताएं :-

भारत के अंतिम वॉयसराय माउंटबेटन ने भारत विभाजन का प्रस्ताव पास किया।
क) सम्प्रभु राज्य भारत और पाकिस्तान का सृजन हुआ।
ख) वॉयसराय का पद समाप्त कर दिया गया। 14- 15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हो गए इसीलिए 15 अगस्त को स्वंतत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं।
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