मौलिक अधिकार |
अब तक हम संविधान के बारे में जान चुके हैं कि संविधान का निर्माण कैसे हुआ? संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा का गठन कैसे किया गया? संविधान सभा में कितनी समितियाँ थीं? भारत के संविधान में कितनी अनुसूचियां हैं? तथा भारत के संविधान की क्या विशेषताएं हैं? हम संविधान की प्रस्तावना के बारे में भी पढ़ चुके हैं उसके बाद हम सविधान के भाग 1 और भाग 2 के बारे में जान चुके हैं। आज हम एक नया टॉपिक भारत के संविधान के मूल अधिकार शुरू कर रहे हैं
Fundamental rights of indian constitution
1. Fundamental rights को संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से लेकर अनुच्छेद 35 तक वर्णित किया गया है।
2. Fundamental rights की परिकल्पना भारत के संविधान निर्माताओं ने अमेरिका के संविधान से ली।
3. संविधान के निर्माण के टाइम मूल रूप से भारत के संविधान में 7 Fundamental rights थे।
3. संविधान के निर्माण के टाइम मूल रूप से भारत के संविधान में 7 Fundamental rights थे।
Fundamental rights/ मौलिक अधिकार
समता का अधिकार:- इस अधिकार का विवरण भारत के संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक मिलता है।
स्वतंत्रता का अधिकार:- इस अधिकार का विवरण भारत के संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक मिलता है।
शोषण के विरुद्ध अधिकार:- इस अधिकार का विवरण भारत के संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 23 और अनुच्छेद 24 में मिलता है।
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार:- इस अधिकार का विवरण भारत के संविधान के भाग तीन में अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 तक मिलता है।
संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार:- इस अधिकार का विवरण भारत के संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 29 और अनुच्छेद 30 में मिलता है।
संपत्ति का अधिकार:- भारत के संविधान में अनुच्छेद 31 संपत्ति का अधिकार प्रदान करता था लेकिन संपत्ति के अधिकार को संविधान के 44 में संशोधन संशोधन द्वारा सन् 1978 में मूल अधिकारों से हटाकर संविधान के भाग 12 में अनुच्छेद 300(क) तहत कानूनी अधिकार बना दिया गया।
संविधानिक उपचारों का अधिकार:- इस अधिकार का विवरण भारत के संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 32 में मिलता है।
नोट:- संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों में से हटा कर के कानूनी अधिकार बनाने के बाद भारत के संविधान में कुल 6 मूल अधिकार बचे हैं।
मौलिक(fundamental) अधिकारों की विशेषताएं
1. एक इन अधिकारों में से कुछ केवल भारतीय नागरिकों के लिए ही उपलब्ध है तथा कुछ अन्य नागरिकों विदेशी के लिए भी है।
2. राज्य उन पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगा सकता है हालांकि यह कारण उचित है या नहीं इसका निर्णय अदालत करती है।
3. यह न्यायोचित है ये व्यक्तियों को अदालत जाने की अनुमति देता है जब भी इसका उल्लंघन होता है। अर्थात इन अधिकारों का उल्लंघन होने पर कोई भी व्यक्ति अदालत में जाकर के न्याय के लिए गुहार लगा सकता है।
4. भारत की संसद इन अधिकारों में संविधान संशोधन के माध्यम से कटौती कर सकती है बिना मूल ढांचे को प्रभावित किए अर्थात इन अधिकारों में कटौती साधारण विधायक द्वारा नहीं की जा सकती।
5. राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 20 व अनुच्छेद 21 के अधिकारों को छोड़कर सभी मूल अधिकारो को स्थगित किया जा सकता है।
राज्य की परिभाषा (अनुच्छेद 12)
Fundamental Rights से संबंधित उपबन्धो में राज्य शब्द का प्रयोग किया गया है। लेकिन संविधान में राज्य की परिभाषा को स्पष्ट नहीं किया गया है।
राज्य की परिभाषा के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह एजेंसी जो राज्य की संस्था काम कर रही है उसे अनुच्छेद 12 के तहत राज्य के अर्थ में माना जाएगा।
अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य का अर्थ संघ है एवं राज्य सरकारे, संसद और विधायिकाएं जो भारत के क्षेत्र में है भारत सरकार के नियत्रंण में हैं।
अनुच्छेद 13
अनुच्छेद 13 यह प्रावधान करता है कि संसद, भारत सरकार एवं राज्य कोई भी ऐसा कानून नहीं बनाएगा जिसमें Fundamental Rights का उल्लंघन हो। यदि संसद, भारत सरकार एवं राज्य ऐसा कोई कानून बनाता है तो वह कानून जहां तक मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है और वहां तक उस कानून का प्रभाव खत्म हो जायेगा। अर्थात अनुच्छेद 13 मूल अधिकारों को कवच प्रदान करता है।
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