How to become indian citizen- padhai krte rho
भारत की नागरिकता

अब तक हम जान चुके हैं कि संविधान का निर्माण कैसे किया गया? संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा का गठन कैसे किया गया? संविधान सभा में कितनी समितियां थी? सविधान की क्या विशेषताएं हैं? भारत के संविधान में कितनी अनुसूचियां हैं? उसके बाद हमने पढ़ा कि भारत के सविधान की प्रस्तावना क्या कहती हैं और उसके बाद भारत संघ और इसके क्षेत्र के बारे में पढ़ा तथा हमने कल एक नया टॉपिक नागरिकता (citizenship) शुरू किया था। आज के इस पोस्ट में हम नागरिकता का बचा हुआ भाग पूरा करेंगे।

कल हम जान चुके थे की नागरिकता का अर्थ क्या है? नागरिकता का महत्व क्या है? भारत में किस तरह के लोग रहते हैं? भारत में किस प्रकार नागरिकता ली जा सकती हैं तथा हम पढ़ रहे थे नागरिकता अधिनियम 1955 इसके तहत हम तीन टॉपिक कंप्लीट कर चुके थे। 1. वंश के आधार पर 2. जन्म के आधार पर एवं 3. पंजीकरण के द्वारा नागरिकता प्राप्त करना आज हम आगे की बात करेंगे

प्राकृतिक रूप से citizen कैसे बनें

केंद्र सरकार आवेदन प्राप्त होने पर किसी व्यक्ति (अवैध प्रवासी ना हो) को प्राकृतिक रूप से नागरिकता प्रदान कर सकती हैं। यहां प्राकृतिक रूप का मतलब उस व्यक्ति के देश के लिए इंपोर्टेंट से हैं।इसके लिए निम्नलिखित योग्यता आवश्यक हैं:-
क) यदि वह भारत में रह रहा हो या भारत सरकार की सेवा में हो और वह आवेदन देने से पहले 12 महीनों से भारत में रह रहा हो।

ख) यदि कोई व्यक्ति जिस को भारत की मानक भाषा (अनुसूची 8 में जो लिखित है) का अच्छा ज्ञान हो तो उसे भारत की नागरिकता दी जा सकती है।

ग) हालांकि भारत सरकार किसी व्यक्ति को प्राकृतिक शर्तों के बिना भी भारत की नागरिकता प्रदान कर सकती है। यदि वह किसी विशेष सेवा, विज्ञान, दर्शन, कला, साहित्य, विश्व शांति या मानव उन्नति से संबंधित कार्य कर रहा हो लेकिन उस व्यक्ति को भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी होगी।

क्षेत्र समाविष्ट द्वारा द्वारा citizen कैसे बनें

क) किसी विदेशी क्षेत्र को भारत में शामिल होने के बाद भारत सरकार उस क्षेत्र से संबंधित विशेष व्यक्तियों को भारत का नागरिक घोषित कर सकती हैं अर्थात उन व्यक्तियों को भारत की नागरिकता प्रदान की जा सकती है

ख) भारतीय मूल का व्यक्ति जो 1 जनवरी 1966 या उसके बाद लेकिन 25 मार्च 1971 से पहले भारत में आया हो और वह उस समय का दस्तावेज प्रस्तुत कर दें तो उसे भारत का Citizen मान लिया जाता है।

नागरिकता की समाप्ति

भारत के संविधान में जिस प्रकार नागरिकता अर्जन करने के प्रावधान दिए गए हैं। उसी प्रकार नागरिकता की समाप्ति के लिए भी प्रावधान दिए गए हैं आइए जानते हैं:-

स्वैच्छिक से citizenship का त्याग

एक भारतीय citizen जो पूर्ण आयु एवं क्षमता का हो वह यदि भारत की नागरिकता का परित्याग करता है। अर्थात वह घोषणा करता है कि वह भारत का नागरिक नहीं है तो उसके बाद वह भारत का नागरिक नहीं रहता। इस घोषणा के साथ ही उसके नाबालिग बच्चों की भी citizenship चली जाती है और जो नाबालिग नही है उनकी नागरिकता बनी रहती है और जो बच्चे नाबालिग है उनको 18 वर्ष की आयु होने के बाद भारत की नागरिकता वापस मिल जाती हैैं।

बर्खास्तगी के द्वारा 

यदि कोई भारत का Citizen स्वेच्छा से किसी अन्य देश का नागरिकता ग्रहण कर लेता है। तो उस व्यक्ति की भारतीय नागरिकता अपने आप बर्खास्त हो जाती है। लेकिन यह व्यवस्था तब लागू नहीं होती जब भारत युद्ध में व्यस्त हो अर्थात युद्ध के समय भारतीय नागरिक की नागरिकता बर्खास्त नहीं की जा सकती दूसरे शब्दों में कहें तो युद्ध के समय भारत का कोई भी नागरिक दूसरे देश की नागरिकता ग्रहण नहीं कर  सकता।

वंचित करने द्वारा

केंद्र सरकार निम्न बातों के आधार पर किसी भी भारतीय citizen को भारत की नागरिकता से वंचित कर सकते हैं:- 
क) यदि उसने नागरिकता फर्जी तरीके से ली हो।
ख) यदि वह भारत के संविधान का अनादर करता हो।
ग) यदि किसी नागरिक ने युद्ध के समय शत्रु के साथ गैर कानूनी रूप से संबंध स्थापित किया हो या उसने कोई राष्ट्र विरोधी सूचना दी हो तो केंद्र सरकार उस नागरिक को भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है।
घ) पंजीकरण या प्राकृतिक नागरिकता के 5 वर्षों के दौरान नागरिक को किसी देश में 2 वर्ष की कैद हुई हो तो केंद्र सरकार उसे नागरिकता से वंचित कर सकती है।
ड़)यदि कोई भारत का नागरिक सामान्य रूप से भारत के बाहर 7 वर्षों से रह रहा हो और एक भी बार भारत में नहीं आया हो तो केंद्र सरकार के पास यह अधिकार है कि उस नागरिक की नागरिकता छीन ले। अर्थात उस Citizen को भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है।

एकल नागरिकता

भारत का संविधान संघीय है। और इसमें  दोहरी  राज पद्धति (केंद्र और राज्य) अपनाई गई है लेकिन इसमें केवल एक ही नागरिकता की व्यवस्था की गई है। अर्थात भारत की नागरिकता ।

अमेरिका और स्विजरलैंड में दोहरी नागरिकता का प्रावधान किया गया है। दोहरी नागरिकता के कारण नागरिकों को दोहरे अधिकार मिलते हैं अर्थात एक ही देश में रहने वाले लोगों को अलग-अलग अधिकार प्राप्त होते हैं। इससे देश में भेदभाव की भावना उत्पन्न होती है। इससे बचने के लिए भारत के संविधान निर्माताओं ने भारत में एकल नागरिकता का सिद्धांत अपनाया।

भारत के सभी नागरिकों को चाहे उनका जन्म कहीं और निवास कहीं हो फिर भी पूरे देश में समान Citizen अधिकार प्राप्त होते हैं

हालांकि भेदभाव रहित व्यवस्था होने के बावजूद कुछ अपवाद भी है:-

1. अनुच्छेद 16 के अनुसार किसी राज्य विशेष में रहने वाले व्यक्तियों के लिए नौकरी एवं नियुक्तियों में अलग सुविधा मिले जैसे:- आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने राज्य के लोगों के लिए 75% नौकरियां आरक्षित की

2. संविधान के अनुच्छेद 15 किसी भी नागरिक के खिलाफ धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म, स्थान या निवास के आधार पर रोक लगाता है लेकिन एक राज्य अपने निवासियों के लिए शैक्षणिक छूट दे सकता है जैसे:-SC एवं ST आरक्षण

3. निवास एवं घूमने की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19 से मिलती है लेकिन उसमें अनुसूचित जनजातियों के क्षेत्र में प्रवेश के निवास पर प्रतिबंध है ऐसी व्यवस्था उनके विशेष संस्कृति, रिवाज एवं भाषा आदि को बचाने के लिए किया गया है।

विदेशी भारतीय नागरिकता

सितंबर 2000 में भारत सरकार (विदेश मंत्रालय) ने भारतीय मूल के नागरिकों के लिए एल एम सिंघवी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया।

इस समिति की रिपोर्ट 2002 में आई उसमें सिफारिश की गई कि भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करके भारतीय मूल के व्यक्तियों के लिए दोहरी नागरिकता की व्यवस्था की जाए (विशेष देशों के नागरिकों के लिए)।

इसी के आधार पर नागरिकता अधिनियम में 2003 में संशोधन किया गया। इसमें विदेशी भारतीय नागरिकता का प्रावधान किया गया। इसके तहत PIO (Person of indian origin) भारत की नागरिकता ले सकते हैं पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर यदि गृह देश के कानून दोहरी नागरिकता का प्रावधान रखता है तो।

2015 में नागरिकता अधिनियम संशोधन के तहत भारतीय विदेशी नागरिकता कार्ड होल्डर योजना की शुरुआत हुई। इसमें पीआईओ कार्ड उसे ओसीआई कार्ड होल्डर को विलय कर दिया।

नोट:-
1. पीआईओ योजना 19 अगस्त 2002 में शुरू की गई थी। तथा 2. ओसीआई कार्ड योजना 1 दिसंबर 2005 में शुरू की गई थी।

विदेशी भारतीय नागरिक कार्ड होल्डर के लिए प्रावधान

1. विदेशी भारतीय नागरिक कॉल होल्डर को ऐसे अधिकार प्राप्त होंगे जो केंद्र सरकार विशिष्ट निर्देशित करेगी।

2.विदेशी भारतीय नागरिक कार्ड होल्डर को निम्नलिखित अधिकार नहीं होंगे:-
क) राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं लड़ सकते।
ख) मतदान नहीं कर सकते।
ग) उनको सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त नहीं किया जा सकता।
घ) उनको सार्वजनिक रोजगार की संभावना का अधिकार प्राप्त नहीं होगा।

NRI के तहत वह भारतीय नागरिक आते हैं तो किसी काम के लिए विदेश में गए हैं। तथा उनके पास भारत का पासपोर्ट है वही POI भारतीय मूल का नागरिक होता है जिसके पास विदेशी पासपोर्ट है।

आज हमारा नागरिकता का टॉपिक कंप्लीट हो चुका है इस टॉपिक से संबंधित प्रतियोगी परीक्षा में आए हुए प्रश्नों को जरूर हल कर ले ताकि टॉपिक अच्छे से क्लियर हो जाए।


मैं उम्मीद करता हूँ कि आपकी आज का टॉपिक समझ मे आया होगा। पोस्ट के बारे में यदि आपका कोई सुझाव हो तो जरूर मेल करें। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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