Citizenship of india |
अब तक हम सविधान के बारे में जान चुके हैं कि संविधान का निर्माण कैसे हुआ? संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन कैसे किया गया? संविधान सभा में कितनी समितियां थी? तथा हमारे संविधान में कितनी अनुसूचियां हैं? हमारे संविधान की क्या विशेषताएं हैं? और उसके बाद हमने संविधान की प्रस्तावना के बारे में पढ़ा तथा कल हम अपना टॉपिक "संघ एवं इनका क्षेत्र" को कंप्लीट कर चुके थे आज हम नया टॉपिक शुरू करने जा रहे हैं जिसका नाम है नागरिकता
Citizenship of india | Indian citizenship | Indian constitution in hindi
नागरिकता
नागरिकता को अंग्रेजी में "सिटीजनशिप"कहा जाता है।
नागरिकता का अर्थ
किसी भी देश के द्वारा उसके क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों को उस देश के द्वारा दी गई एक विशेष पहचान जिसे उस देश की नागरिकता के नाम से जाना जाता है। अर्थात उस देश के बाहर उस व्यक्ति की पहचान उस देश के नाम से होगी जो उस देश के द्वारा अपने नागरिक को दी गई थी उसे ही नागरिकता कहते हैं।
नागरिकता का महत्व
1. नागरिकता के द्वारा किसी भी व्यक्ति की किसी भी जगह उसकी पहचान आसानी से की जा सकती है
2. नागरिकता के द्वारा उस नागरिक को देश के संविधान से अधिकार प्राप्त होते हैं
क) किसी अन्य आधुनिक राज्य की तरह भारत में भी दो तरह के लोग हैं:- नागरिक और विदेशी।
नागरिक पूर्ण रूप से भारत के नागरिक होते हैं जिनको भारत के सविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकार प्राप्त होते हैं।
विदेशी का मतलब होता है कि ऐसा नागरिक जिसके पास अन्य देश की नागरिकता हो।
विदेशी भी दो प्रकार के हो सकते हैं मित्र एवं शत्रु
मित्र विदेशी
वह लोग जो भारत के साथ सकारात्मक संबंध रखते हैं उसे मित्र विदेशी कहा जाता है।
शत्रु विदेशी
वो लोग जो भारत के साथ नकारात्मक संबंध रखते हैं भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं उसे शत्रु विदेशी कहा जाता है।
नोट:- विदेशियों को कुछ ही सविधान के अधिकार प्राप्त होते हैं
संवैधानिक उपबंध
भारत के संविधान के भाग 2 में अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता के बारे में चर्चा की गयी हैं।
संविधान निर्माण के उपरांत 26 जनवरी 1950 संविधान के अनुसार चार श्रेणियों के लोग भारत के नागरिक बने।
क) वह व्यक्ति जो भारत के मूल निवासी थे जो स्वतंत्रता के 5 वर्ष पूर्व से भारत में रह रहे थे। (अनुच्छेद 5 के अनुसार)
ख) वह व्यक्ति जो पाकिस्तान से स्थानांतरित हुआ हो (अनुच्छेद 6 के द्वारा)
ग) ऐसा व्यक्ति जो पाकिस्तान में चला गया हो और बाद में वापस लौट कर आ गया।(अनुच्छेद 7 के द्वारा)
घ) भारतीय मूल का व्यक्ति जो बाहर रह रहा हो (अनुच्छेद 8 के द्वारा)।
नोट:- अनुच्छेद 5 संविधान लागू होने के समय नागरिकता प्रदान करता है।
नागरिकता संबंधी अन्य प्रावधान
ऐसा व्यक्ति जिसने स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर ली हो तो उस व्यक्ति की भारतीय नागरिकता श्वेता ही खत्म हो जाएगी। (अनुच्छेद 9 के अनुसार)
प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है या समझा जाता है यदि संसद इस प्रकार के किसी विधान का निर्माण करें अर्थात अनुच्छेद 10 नागरिकता संबंधी अधिकारों की निरंतरता प्रदान करता है।
अनुच्छेद 11 के अनुसार भारत का संसद को यह अधिकार है कि वह नागरिकता के अर्जन एवं समाप्ति के संबंधित कानून बना सकता है।
नागरिकता अधिनियम 1955
नागरिकता अधिनियम, 1955 संविधान लागू होने के बाद नागरिकता का अर्जन और समाप्ति के बारे में प्रावधान करता है।
नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार नागरिकता प्राप्त करने के लिए 5 शर्तें निर्धारित की गई
एक जन्म के आधार पर
भारत में 26 जनवरी 1950 के बाद जन्म लेने वाले हर व्यक्ति को भारत का नागरिकता प्रदान की जाएगी लेकिन उनके माता-पिता के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया।
इसलिए इसके बाद इस अधिनियम में संशोधन किए गए 1986 में संशोधन करके यह कहा गया कि 26 जनवरी 1950 के बाद जन्मे हर व्यक्ति को भारत की नागरिकता मिलेगी लेकिन उसके लिए उसके माता-पिता में से कम से कम एक भारत का नागरिक या फिर दोनों ही भारत का नागरिक होना आवश्यक हैं। 2003 में फिर इसमें संशोधन किया गया इस बार कहा गया कि 26 जनवरी 1950 के बाद जन्म लेने वाले हर व्यक्ति को नागरिकता दी जाएगी यदि उसके माता पिता में से कम से कम एक के पास भारत की नागरिकता होगी लेकिन माता-पिता दोनों में से कोई भी अवैध प्रवासी ना हो।
वंश के आधार पर
क) कोई व्यक्ति जिसका जन्म 26 जनवरी 1950 के बाद लेकिन 10 दिसंबर 1992 से पहले भारत के बाहर हुआ हो और उसके जन्म के समय उसके पिता के पास भारत की नागरिकता हो तो उस व्यक्ति को वंश के आधार पर भारत की नागरिकता मिल जाएगी।
ख) 10 दिसंबर 1992 को या उसके बाद भारत के बाहर जन्म लेने वाले उस व्यक्ति को भारत की नागरिकता मिल सकती है। लेकिन उसके माता-पिता दोनों में से किसी एक के पास भारत की नागरिकता हो।
ग) 3 दिसंबर 2004 के बाद किसी भी व्यक्ति को उसके वंश के आधार पर नागरिकता प्रदान नहीं की जा सकती।
पंजीकरण द्वारा
केंद्र सरकार किसी व्यक्ति को नागरिकता संबंधी आवेदन प्राप्त करने के लिए उस व्यक्ति (जो अवैध प्रवासी ना हो तो) को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत कर सकती है यदि वह निम्नलिखित श्रेणियों में से हो:-
क) भारतीय मूल का व्यक्ति जो आवेदन करने से पहले 7 वर्षों से भारत में रहा हो।
क) भारतीय मूल का व्यक्ति जो आवेदन करने से पहले 7 वर्षों से भारत में रहा हो।
ख) भारतीय मूल का व्यक्ति जो अविभाजित भारत के बाद यह किसी देश में अन्यत्र रह रहा हो अर्थात इस देश में उसको अधिकार प्राप्त ना हो तो भारत सरकार उस नागरिक को नागरिकता प्रदान कर सकती हैं।
ग) वह व्यक्ति जिसने कोई भारतीय सेवा कर रहा हो तथा आवेदन करने से पहले 7 वर्षों से भारत में रह रहा हो।
दोस्तों आज हमने नागरिकता का क्या टॉपिक शुरू किया यह पोस्ट ज्यादा लंबी ना हो इसलिए नागरिकता के संबंधित बचा हुआ भाग हम कल की पोस्ट में पढ़ेंगे ताकि हम बोर ना हो।
मैं उम्मीद करता हूँ कि आपकी आज का टॉपिक समझ मे आया होगा। पोस्ट के बारे में यदि आपका कोई सुझाव हो तो जरूर मेल करें। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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