Rajyo ka punargathan | state reorganisation of india | indian constitution in hindi

कल हम संविधान का भाग 1 पढ़ रहे थे। कल की पोस्ट में हमने देखा की भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 से अनुच्छेद 4 तक क्या कहा गया है। हमने देखा कि अनुच्छेद 1 से लेकर अनुच्छेद 4 तक संघ और राज्य क्षेत्र के बारे में बताया गया है। आज हम भारत संघ के राज्यों का पुनर्गठन का टॉपिक शुरू करेंगे। यदि आपने कल की पोस्ट को नहीं पढ़ा है तो मैं उस पोस्ट की लिंक इस पोस्ट के नीचे दे दूंगा। पहले आप  उस पोस्ट को पढ़ ले ताकि आज का पोस्ट आपको अच्छे से समझ में आए।


Rajyo ka punargathan | state reorganisation of india | indian constitution in hindi

केंद्र शासित प्रदेशों  और राज्यों का उद्भव

1. देशी रियासतों का एकीकरण

आजादी के समय भारत में राजनीति इकाइयों की दो श्रेणियां थी। 
1) ब्रिटिश प्रांत जो ब्रिटिश सरकार के शासन के अधीन थे।
2) देशी रियासतें जो राजा के शासन के अधीन लेकिन ब्रिटिश राजशाही के नियंत्रण में।

"भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के अंतर्गत देसी रियासतों को तीन ऑप्शन दिए गए।"
1) भारत में अपनी मर्जी से शामिल हो जाए।
2) पाकिस्तान में अपनी मर्जी से शामिल हो जाए 
3)  फिर स्वतंत्र रूप से रहे।


552 देशी रियासतें जो भारतीय भौगोलिक क्षेत्र के अंतर्गत आती थी। उनमें से 3 रियासतों (हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर) को छोड़कर 549 रियासतें भारत में अपनी मर्जी से शामिल हो गयी। बाद में हैदराबाद को पुलिस कार्रवाई द्वारा भारत में शामिल किया गया। तथा जूनागढ़ जनमत के द्वारा भारत में शामिल किया गया। और उसके बाद कश्मीर को विलय पत्र के द्वारा भारत में शामिल कर लिया गया।

राज्यों के पुनर्गठन के लिए आयोग

धर आयोग

स्वतंत्रता के बाद जून 1948 में भारत सरकार ने एस. के. धर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया। इस आयोग का गठन करने का उद्देश्य था की राज्यों का पुनर्गठन कैसे किया जाए उस का निर्धारण करना।



धर आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1948 के दिसंबर माह में पेश की। उसमें बताया गया कि राज्यों का पुनर्गठन भाषाओं के आधार पर ना होकर प्रशासनिक सुविधा के आधार पर किया जाना चाहिए। लेकिन इस रिपोर्ट के कारण बाद में पूरे देश मे असंतोष फैल गया।

जेवीपी आयोग

इसको जेवीपी समिति भी कहते हैं। धर आयोग की असफलता के बाद इस आयोग का गठन किया गया। इस आयोग में जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल एवं पट्टाभीसितारमैया शामिल थे। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 1949 के अप्रैल माह में पेश की। इस रिपोर्ट में औपचारिक रूप से राज्यों का पुनर्गठन का आधार भाषा होना चाहिए को अस्वीकार कर दिया गया। लेकिन अक्टूबर 1953 में भारत सरकार को भाषा के आधार पर पहले राज्य का गठन करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि 56 दिनों की भूख हड़ताल के कारण एक कांग्रेसी कार्यकर्ता पिट्टू श्रीरामुलु का निधन हो गया। उनके निधन के बाद आंदोलन ने और तेजी पकड़ ली। परिणाम स्वरूप भारत सरकार ने मद्रास में से  तेलुगु भाषा क्षेत्र को आंध्रप्रदेश का नाम दे कर अलग कर दिया।

फजल अली आयोग


आंध्र प्रदेश के गठन के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि दूसरे राज्यों में भी भाषा के आधार पर राज्यों का गठन के लिए आंदोलन होने लगेंगे और ऐसा ही हुआ आंध्र प्रदेश के गठन के बाद अन्य राज्य में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन की मांग उठने लगी इसको देखते हुए भारत सरकार ने एक 3 सदस्य आयोग का गठन किया आयोग के अध्यक्ष फजल अली थे इस आयोग का गठन दिसंबर 1953 में किया गया।

इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1955 में पेश की। इसमें उन्होंने पहली बार यह माना कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर होना चाहिए। लेकिन एक राज्य की एक भाषा के सिद्धांत को उन्होंने भी स्वीकार नहीं किया।



1950 में भारत के संविधान में राज्यों को चार भागों में बांटा गया था:- भाग क, भाग ख, भाग ग, भाग घ।
भाग क में वे राज्य थे जिस पर पर जिस पर पर गवर्नर का शासन था।

भाग ख में वे राज्य थे जिसमें विधानमंडल विधानमंडल के साथ शाही शासन था ।

भाग ग में वे  राज्य है जिसमें जिसमें ब्रिटिश भारत के मुख्य आयुक्त का शासन था। इसमें कुल 10 राज्य थे।

भाग घ में केवल अंडमान और निकोबार दीप समूह समूह को रखा गया था।



राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 में संविधान के साथ में संशोधन संशोधन द्वारा राज्यों के भाग क भाग ख के बीच की दूरी को समाप्त कर दिया गया। और भाग ग को खत्म कर दिया गया। परिणाम स्वरूप 1 नवंबर 1956 को 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया।


14 राज्य


आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, बंबई,  जम्मू एंड कश्मीर, केरल, मध्य प्रदेश, मद्रास, मैसूर, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल।



6 केंद्र शासित प्रदेश


अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा एवं लक्कादीप मिनिकॉय आमीनदिवी।


आज के टॉपिक में हमने जाना भी भारत संघ में 14 राज्यों 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन कैसे हुआ अगली पोस्ट में हम जानेंगे कि इसके अलावा भारत के राज्यों का गठन किया गया।

उम्मीद करता हूँ आपको आज का टॉपिक समझ मे आया होगा। पोस्ट के बारे में यदि आपका कोई सुझाव हो तो जरूर मेल करें। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।


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