अस्पृश्यता, जिसे अंग्रेजी में "untouchability" कहा जाता है, भारतीय समाज में एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण और गंभीर समस्या है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 इस मुद्दे पर विचार करता है और इसे समाधान के लिए निर्देशित करता है। यहां, हम इस अनुच्छेद के महत्व, उद्देश्य, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, और उसके प्रभाव के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।


अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता के खिलाफ उत्पादन


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 का मुख्य उद्देश्य अस्पृश्यता के खिलाफ उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह अनुच्छेद आधिकारिक रूप से भारतीय समाज में अस्पृश्यता के खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता को स्वीकार करता है और इसे बंद करने के लिए कठोर कानूनी और सामाजिक प्रणालियों की आवश्यकता को प्रस्तुत करता है।


इस अनुच्छेद में अस्पृश्यता के साथ जुड़े कई पहलूओं को संविधानिक रूप से निष्पादित किया गया है, जैसे कि:


1. अधिकारों की सुरक्षा: अस्पृश्यता के शिकारों को संविधान द्वारा समान अधिकारों का आनंद करने का अधिकार दिया गया है। वे अपनी जीवन और उनके लिए उपलब्ध सभी सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं, जो अन्य नागरिकों को प्राप्त हैं।


2. दंड प्रावधान: अस्पृश्यता के किसी भी प्रकार के उत्पीड़न, उत्पादन या उसके लिए प्रेरित किसी भी क्रिया के लिए कठोर दंड प्रावधान शामिल किए गए हैं।


3. सामाजिक विकास: अस्पृश्यता के खिलाफ उत्पादन के लिए विभिन्न सामाजिक योजनाओं और कार्यक्रमों का शुरू किया गया है जो अस्पृश्य वर्ग के लोगों को शिक्षा, रोजगार, आर्थिक सहायता, और सामाजिक समानता की दिशा में सहायता प्रदान करते हैं।


4. सामाजिक एवं धार्मिक सुधार: अनुच्छेद 17 ने सामाजिक और धार्मिक सुधार के लिए उपायों की प्रोत्साहना की है। इसमें समाज के विभिन्न सेगमेंट्स में जागरूकता, विद्या, और समझ का विकास शामिल है।



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